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28 September 2012

dharkan

सूफ़ीवाद - परमात्मा से महोब्बत करने का नाम है उसे ही प्रिय और प्रियसी मानते है उसे का जिक्र होता है उनके क़लाम में....   
       

ना पैसा ना  प्रतिष्ठा ना झूटा गर्व शिष्ट का
ये सहज पुकार दिल की है
सुन तू  भी सुन मेरी  धड़कन की धुन

उगते सूरज में तुझे ही देखा
ढलते  दिन में तुझे ही पाया
चाँद के चेहरे में तू  मुस्कराया
सितारों की झिलमिल में तू ही नज़र आया
सुन तू भी सुन

ये हव़ा तेरा पैगाम लाती है
दीये की रोशनी तेरा सलाम देती है
बारिश का पानी तेरा नगमा सुनाता है
फूलों की रंगत में तू ही नजर आता है
सुन तू भी सुन

मेरे नगमों में तेरा ही ज़िक्र है
मेरे गीतों में तू ही छिपा है
मेरी बंदगी तेरा ख़याल है
मेरी पूज़ा तेरा प्यार है
सुन तू भी सुन मेरी धड़कन की धुन

                                       
                                                 : नीना