25 August 2012

SadGuru


सत्य की राह दिखा रहा है
प्रेम की सुधा पिला रहा है
करुणा का पाठ पढ़ा रहा है
जीवन का मतलब समझा रहा है

जल की तरह सब को भरता है
आश्रितों का जीवन सफ़ल करता है
सुनहार की तरह तराशता है
हौले हौले हमको निखारता है

ना ईर्शा ना द्वेष ना निंदा ना मत्सर
हरसू  यही अभ्यान चलाता यहाँ पर
हर रोग की नवज पकड़ता है
धीरे धीरे इलाज वो करता है

कोई डॉक्टर भी नहीं कर पायेगा
कड़वी से कड़वी दवा वो प्यार से पिलायेगा
अपने जैसा हमको बना छोड़ेगा
बिन किये ये वो मूह ना मोड़ेगा

लगता है फ़ना कर रहा है
मुझसे नया व्यक्त्तित्व उभर रहा है
झीगे को मरना ही होता है
तितली का प्रकटन य़ू ही होता है

सदगुरु की करुणा क़हा तक ग़ाऊ
शब्द कम पड़ेगे सच बतलाऊ
सहजो का मत दिल को भाने लगा है
गुरु का चुनाव समझ आने लगा है
गुरु का चुनाव समझ आने लगा  है

                                            : नीना 

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