शुक्रिया
आप माने न माने काम है यह आप का
मुझे नीद से उठाने वाले, होश में फिर लाने वाले
पानी का छीटा ड़ाल ड़ाल, ताज़ा तरोज़ा बनाने वाले
यह इंतजाम है आप का
मै तो भटकी हुई थी जिंदगी की अँधेरी राहों में
जो अपना न था, उसे ही समा बैठी थी अपनी बाहों में
सुबह की ताज़ी किरणों की, रोशनी अब नज़र जो आई
यह कमाल है आप का
अपने अस्तित्व पर फक्र करने लगी हू
पश्चिम के बदले पूर्व पर नज़र धरने लगी हू
मूल का महत्व बतला, मुझे राह दिखलाने वाले
बस, शुक्रिया है आप का
: नीना
No comments:
Post a Comment